चेहरे पे मेरे जुल्फ को फैलाओं किसी दिन
क्या रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन
-अमजद इस्लाम अमजद
खुद का खयाल नहीं रखती वो
मुझे कुछ हो जाए तो डॉक्टर बन जाती है…
जिंदगी तुम मेरी बन जाओ रब से और क्या मांगू जीने की वजह बन जाओ बस ये ही दुआ मांगू…
तुम्हें देखना और देखते रहना अच्छा लगता है…
बाल खुले रखा करो कयामत लगती हो..
ना जाने कितनी दुआओं का सहारा होगा
जब कोई हमारा सिर्फ हमारा होगा !
Har Baar Usi Ki Guftgun…
Sau Baar Usi Ki Aarzoo,
Wo Pass Nahi Hota To
Bhi Hai Mere Rubru..